Sad shayari 

Sad shayari


खामोशियां बोल देती है, जिनकी बाते नहीं होती,

इश्क वो भी करते हैं, जिनकी मुलाकाते नहीं होती।




क्या बेमिसाल प्यार था?

मेरे यार का।

वादे किए मुझसे।

निभाए किसी और के साथ।



कभी मौका मिला तो,

हम किस्मत से शिकायत जरुर करेंगे।

क्यों छोड़ जाते हैं, वो लोग,

जिन्हें हम टूट कर चाहते हैं।




मुझे छोड़कर वो खुश है,

तो शिकायत कैसी?

अब मैं उन्हें खुश भी ना देखूं,

तो मोहब्बत कैसी?



चाहे कितना भी बिजी रह लो।

लेकिन जब उस इंसान की याद आती है, ना

तो आखों में आसूं आ ही जाते हैं।



Romantic shayari 


Romantic sayari


बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत में,

कैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती।






इससे ज़्यादा तुझे और कितना करीब लाऊँ मैं,

कि तुझे दिल में रख कर भी मेरा दिल नहीं भरता।



हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो,

भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।



कभी लफ्ज़ भूल जाऊं कभी बात भूल जाऊं,

तूझे इस कदर चाहूँ कि अपनी जात भूल जाऊं,

कभी उठ के तेरे पास से जो मैं चल दूँ,

जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊं।



तुम मिल गए तो मुझ से नाराज है खुदा,

कहता है कि तू अब कुछ माँगता नहीं है।




ग़म सलीके में थे जब तक हम खामोश थे,

जरा जुबान क्या खुली दर्द बे-अदब हो गए।




Bawafa shayari 


सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,

जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।



तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी,

बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी।



हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम,

होने लगे हो कुछ-कुछ बेवफा से तुम।



हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला,

हमको जो भी मिला बेवफा यार मिला,

अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी,

हर कोई मकसद का तलबगार मिला।





तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,

अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी।





तेरे प्यार करने की अदा...


मेरे दिल ने जब भी दुआ माँगी है,

तुझे माँगा है तेरी वफ़ा माँगी है,

जिस मोहब्बत को देख के दुनिया को रश्क आये,

तेरे प्यार करने की वो अदा माँगी है।




सर्द रातों में जुदाई...


सर्द रातों में सताती है जुदाई तेरी,

आग बुझती नहीं सीने में लगाई तेरी,

तू तो कहता था बिछड़ के सुकून पा लेंगे,

फिर क्यों रोती है मेरे दर पे तन्हाई तेरी।



एक बार पुकारेंगे तुम्हें...


तुम सुनो या न सुनो, हाथ बढ़ाओ न बढ़ाओ,

डूबते-डूबते एक बार पुकारेंगे तुम्हें।


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मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ,

तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ।


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ज़मीं छूटी तो भटक जाओगे ख़लाओं में,

तुम उड़ते उड़ते कहीं आसमाँ न छू लेना।


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बड़ी घुटन है, चराग़ों का क्या ख़याल करूँ,

अब इस तरफ कोई मौजे-हवा निकल आये।