अपने दिल को सुरक्षित रखें, यह बहुत नाजुक होता है। कुछ छोटी छोटी बातें और घटनाये इस पर व्यापक प्रभाव छोड़ देती है। एक समृद्ध पत्थर को जोड़ कर रखने के लिए सोने और चांदी की परत देनी पड़ती है। उसी तरह ज्ञान और विवेक की परत आपके दिल को दिव्यता से जोड़ कर रखती है। मन और दिल को स्वच्छ और स्वास्थ्य रखने के लिए दिव्यता से निष्पादन कुछ भी नहीं है। फिर गुजरता हुआ समय और घटनाये आपको स्पर्श भी नहीं कर पायेंगी और न कोई घाव दे सक्रियगी।

जब कोई बहुत प्रेम अभिव्यक्त करता है तो अक्सर उस पर कितनी प्रतिक्रिया करना या आभार व्यक्त करना आपको समझ में नहीं आता है। सच्चे प्रेम को पाने की क्षमता प्रेम को देने या बाँटने से आती है। जैसा कि आप अधिक केंद्रित होते हे हे अपने अनुभव के आधार पर यह समझ पाते हैं कि प्रेम सिर्फ एक भावना नहीं हैं, वह आपका शाश्वत आस्तित्व है, फिर चाहे कितना भी प्रेम किसी भी रूप में प्रकटित किया जाए आप अपने आप को स्वयं में। 





प्रेम सबसे उदात्त गुण या अच्छी आदत, गहरे सबसे पारस्परिक स्नेह और सरलतम सुख के लिए मजबूत और सकारात्मक भावनात्मक और मानसिक अवस्थाओं को समाहित करता है [१] [२] अर्थों की इस श्रेणी का एक उदाहरण यह है कि माँ का प्यार जीवनसाथी के प्यार से अलग होता है, जो भोजन के प्यार से अलग होता है। आमतौर पर, प्यार मजबूत आकर्षण और भावनात्मक लगाव की भावना को दर्शाता है [3]                      

प्रेम को एक सकारात्मक और नकारात्मक माना जाता है:  मानवीय  दया , करुणा और स्नेह का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वयं      गुण के साथ , "दूसरे के यहां तक ​​के लिए निवांसार्थ वफादार और परोपकारी चिंता"; इसका और वाइस मानव नैतिक दोष , घमंड , स्वार्थ , अमूर्त-समझ , और अहंभाव का प्रतिनिधित्व करता है , क्योंकि यह संभावित रूप से लोगों को उन्माद, या जुनूनी कोडपेंडेंसी के एक प्रकार में ले जाता है। [४] [५]                      अन्य मनुष्यों, स्वयं या जानवरों के प्रति दयालु और सनेही कार्यों का भी वर्णन किया जा सकता है।]  [6]अपने विभिन्न रूपों में, प्रेम की  संबंधों के प्रमुख सूत्रधार के रूप में कार्य करता है और, इसके केंद्रीय मनोवैज्ञानिक महत्व के कारण, रचनात्मक कलाओं में सबसे आम विषयों में से एक है [हो गया] प्रेम को मनुष्यों के साथ मिलकर रखने और लोगों की निरंतरता को सुविधाजनक बनाने के लिए एक समारोह के रूप में देखा गया है[8]              


ऐश्वर्या राय

प्राचीन ग्रीक दार्शनिकों ने  प्रेम के पांच रूपों की पहचान की : अनिवार्य रूप से, पारिवारिक प्रेम ( ग्रीक , स्टॉर्ज में ), मैत्रीपूर्ण प्रेम या प्लेटोनिक प्रेम ( फिलिया ), रोमांटिक प्रेम ( इरोस ), अतिथि प्रेम ( एक्सनिया ) और दिव्य प्रेम ( अगापे )। आधुनिक जीवन ने प्यार की अन्य किस्मों को अलग किया है: बिना प्यार , खाली प्यार , के का प्यार , सहपाठी प्यार ,                                     बेउलाद प्रेम , आत्म-प्रेम और दरबारी प्रेम से कई संस्कृतियों भी प्रतिष्ठित है रेन , Yuanfen , Mamihlapinatapai , Cafuné , कामदेव , भक्ति , metta , इश्क , केसेद , Amore , चैरिटी , Saudade (और अन्य वेरिएंट या इन राज्यों के symbioses ,) सांस्कृतिक रूप से अद्वितीय शब्द, परिभाषाएँ, या प्यार की अभिव्यक्ति के रूप में एक निर्दिष्ट "क्षण" के संबंध में वर्तमान में अंग्रेजी भाषा में कमी है। [9]                                 [१०]  [११]

प्यार वह सलोना अहसास है, जो संसार के समस्त रिश्तों से ऊंचा और अनूठा है। यह सुमधुर रिश्ता एक खूबसूरत रहस्य है, जिसे आज तक कोई जान नहीं सका। दो पवित्र और शुद्ध आत्माओं का मिलन है प्यार। एक आकर्षक अनूभूति, जिसे सोचते ही चिंता और तनाव के समस्त तटबंध टूट जाते हैं। सांसारिक जंजीरें खुल जाती है।

प्यार अनंत आकाश है, जिसमें अनुराग का सौम्य चंद्रमा मुस्कुराता है। ऊष्मा का तेजस्वी सूर्य जगमगाता है और उन्मुक्त हास्य के नटखट सितारें झिलमिलाते हैं। प्यार एक पुस्तक है बेशकीमती। बड़े आहिस्ता से खोलिए इसे। इसमें अंकित हर अक्षर- मोती, हीरा, पन्ना, नीलम, माणिक, मूंगा और पुखराज की तरह हैं बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले।

प्यार बहुत सुकोमल और गुलाबी रिश्ता है, छुई-मुई की नाजुक पंक्तियों की तरह। अंगुली उठाने पर कुम्हला जाता हैं यह रिश्ता। इसलिए प्यार करने से पहले अंतर्मन की चेतावनी व परामर्श सुनना, समझना और स्वीकार करना नितांत जरूरी है। अटूट प्यार के लिए उसकी बुनियाद में कुछ विशिष्‍ट भावों का होना आवश्यक है।

सच्चाई, ईमानदारी, परस्पर समझदारी, अमिट विश्वास, पारदर्शिता, समर्पण भावना और एक-दूजे के प्रति सम्मान जैसे श्रेष्‍ठ ‍तत्व प्यार की पहली जरूरत है।

काश मेरे होंठ तेरे होंठ को छू जाए
देखूं जहा बस तेरा चेहरा नज़र आये
हो जाये हमारा रिस्ता कुछ ऐसा
होंठों के साथ हमारा दिल भी जुड़ जाये
प्यार करने वाले पहले जान लें कि क्या हमारा प्रेमी/प्रेमिका वह विश्वसनीय शख्स है, जिसके समक्ष अपने अंतरमन की अंतिम परत भी कुरेद कर रख दें। सच्चा प्यार वही होता है जो आपके विकसित होने में सहायता करता है। जिसका निश्चल प्रेम आपको पोषित करता है और जिसके साथ आप अपनी ऊर्जा व निजता बांटते हैं।

प्यार की नन्हीं नवविकसित कोंपल को कुछ कंटीलें तत्वों जैसे - ईर्ष्या, द्वेष, अपमान, उपहास और मानसिक संकीर्णता से बचाना बेहद जरूरी है। तमाम उम्र इंसान को सच्चे प्यार की तलाश रहती है। इस तलाश में भटकते हुए ही उसे यह अनुभव होता है कि प्यार का एक रंग नहीं होता।

कई-कई रंगों से सजा प्यार कदम-कदम पर अपना रूप दिखाता है। प्यार में पीड़ा तब सघन हो जाती है जब उसे श‍क की दीमक लग जाती है। यह दीमक प्यार को खोखला कर देती है। जब तक व्यक्ति समझे-संभले प्यार का राजमहल चरमराकर ढह जाता है।

वॉशिंगटन अर्विंग ने कहा है
-' प्यार कभी व्यर्थ नहीं जाता
यदि उसे प्रतिदान नहीं मिलता है
तो वह लौट आता है और
ह्रदय को मृदु एवं पावन बनाता है।'

सच्चा प्यार वही है, जिसके साथ होकर हम अपने आपको सर्वाधिक जान सकें। जो हमारे निराश क्षणों में आशा का दीप जला दें। जो हमारे कमजोर पलों में उत्साह का मजबूत सहारा बन सकें। जिसकी प्रसन्नता हमारे सृजन की प्रेरणा बन सकें।

अगर चाहते हैं प्यार की सौंधी सुगंध हमें आजीवन महकाती रहे तो उसका महत्व भी आज ही समझना होगा।

अंत में एक कविता प्यार के नाम-
प्यार
खुशी का वह दरिया हैं,
जो आमंत्रित करता है हमें,
आओ, खूब नहाओं,
हंसी-खुशी की,
मौज-मस्ती की
शंख-सीपियां,
जेबों में भरकर ले जाओ।
आओ,
मुझमें डूबकी लगाओ
गोइठ लगाओ सो
नहाओ
प्यार का मीठा पानी

हाथों में भरकर ले जाओ।Love imagine